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हिमाचल प्रदेश सरकार ने गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए "सहारा योजना" (Sahara Yojana) शुरू की है। यह योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित की जाती है और इसका उद्देश्य उन मरीजों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है जो पार्किंसन, कैंसर, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। इस योजना के तहत मरीजों को मासिक वित्तीय सहायता दी जाती है ताकि वे अपने इलाज और जीवनयापन का खर्च उठा सकें।
हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं कई बार सीमित होती हैं, यह योजना मरीजों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा सहारा बनकर उभरी है। इस लेख में हम सहारा योजना के उद्देश्य, विशेषताओं, लाभों, पात्रता और आवेदन प्रक्रिया को विस्तार से जानेंगे।
सहारा योजना (Sahara Yojana) का मुख्य लक्ष्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को आर्थिक मदद देना है। यह योजना उन परिवारों के लिए बनाई गई है जो इलाज के भारी खर्च के कारण आर्थिक संकट में आ जाते हैं। सरकार का प्रयास है कि कोई भी मरीज इलाज के अभाव में न रहे और उसका जीवन स्तर बेहतर हो सके।
इसके अलावा, यह योजना सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देती है और मरीजों के
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यह योजना कई खास विशेषताओं के साथ तैयार की गई है:
सहारा योजना के तहत पहले 2,000 रुपये मासिक दिए जाते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया गया। यह राशि मरीजों को दवाइयों और अन्य जरूरतों के लिए उपयोग करने में मदद करती है।
इस योजना से कई लाभ मिलते हैं:
उदाहरण के लिए, शिमला के एक मरीज ने बताया कि सहारा योजना (Sahara Yojana) से मिलने वाली 3,000 रुपये की मदद से वह अपनी दवाइयां खरीद पाता है।
पात्रता की शर्तें:
यह योजना पूरे हिमाचल में लागू है, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल हैं।
आवेदन के चरण:
अधिक जानकारी के लिए हिमाचल सरकार की वेबसाइट देखें।
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