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मिष्टी: मैंग्रोव संरक्षण और आजीविका मिशन

मिष्टी: मैंग्रोव संरक्षण और आजीविका मिशन

मिष्टी क्या है?

मिष्टी (MISHTI - Mangrove Initiative for Shoreline Habitats and Tangible Incomes) भारत सरकार की एक मैंग्रोव संरक्षण योजना है। इसे 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू किया गया था, हालांकि इसकी घोषणा 2023-24 के बजट में हुई थी। इसका उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों को बढ़ाना और स्थानीय समुदायों की आजीविका को बेहतर करना है। यह योजना 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है। MISHTI मैंग्रोव संरक्षण और आर्थिक विकास का एक नया प्रयास है।

मिष्टी का उद्देश्य

इसका मुख्य लक्ष्य 2030 तक 540 वर्ग किलोमीटर में मैंग्रोव वन बढ़ाना है। यह तटीय सुरक्षा, जैव विविधता और आजीविका को बढ़ाना चाहता है। इसका मकसद जलवायु परिवर्तन से लड़ना और तटीय समुदायों को आत्मनिर्भर बनाना है।

मैंग्रोव का महत्व

यह मिशन तटीय कटाव को रोकता है और समुदायों को आय देता है।

मिष्टी की मुख्य विशेषताएं

इस योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं:

  1. 540 वर्ग किमी मैंग्रोव क्षेत्र।
  2. 12 राज्य और 2 UTs में लागू।
  3. आजीविका और संरक्षण पर जोर।
  4. 220 करोड़ रुपये का बजट।

MISHTI को पर्यावरण मंत्रालय ने लागू किया।

लाभ और प्रभाव

इस मिशन से तटीय क्षेत्रों में सुधार शुरू हुआ। 2023 तक, कई क्षेत्रों में रोपण शुरू हुआ। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मैंग्रोव बढ़े।

पर्यावरण लाभ

तटीय सुरक्षा और

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जैव विविधता बढ़ी।

आर्थिक प्रभाव

मछली पालन और पर्यटन से आय बढ़ी।

भागीदारी कैसे करें?

इस मिशन में शामिल होने के लिए:

  1. तटीय प्रशासन से संपर्क करें।
  2. रोपण में हिस्सा लें।
  3. आजीविका योजना से जुड़ें।
  4. प्रगति की जानकारी लें।

अधिक जानकारी के लिए पर्यावरण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

प्रमुख क्षेत्र और कार्यान्वयन

यह मिशन पर्यावरण, आजीविका और तटीय विकास को प्रभावित करता है। इसे पर्यावरण मंत्रालय और राज्य सरकारों ने लागू किया।

विश्लेषण

मिष्टी ने मैंग्रोव संरक्षण को नई दिशा दी। यह पर्यावरण और आय में सफल रहा। हालांकि, बड़े पैमाने पर प्रभाव के लिए और संसाधन चाहिए। फिर भी, यह मिशन तटीय विकास में एक बड़ा कदम है।

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