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पुन्य तीर्थ योजना - धार्मिक पर्यटन

पुन्य तीर्थ योजना - धार्मिक पर्यटन

पुन्य तीर्थ योजना क्या है?

पुन्य तीर्थ योजना (Punya Tirtha Yojana) असम सरकार की एक अनूठी पहल है, जिसे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और तीर्थ स्थलों के विकास के लिए शुरू किया गया है। इस योजना का उद्घाटन 2024 में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने किया था, और इसका उद्देश्य असम के धार्मिक स्थलों को संरक्षित करना, उनकी सुविधाओं को बेहतर करना, और श्रद्धालुओं के लिए तीर्थयात्रा को आसान बनाना है। योजना के तहत मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों, और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थानों के लिए वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है।

असम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के लिए जाना जाता है। कामाख्या मंदिर, उमानंद मंदिर, हाजो का हयाग्रीव मधव मंदिर, और माजुली के सत्र जैसे धार्मिक स्थल हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। हालांकि, इन स्थानों पर सुविधाओं की कमी और रखरखाव की समस्या थी। पुन्य तीर्थ योजना इस कमी को दूर करने और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में काम करती है। यह योजना न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुविधा बढ़ाती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और असम की धार्मिक पहचान को संरक्षित करने में भी योगदान देती है।

पुन्य तीर्थ योजना की विशेषताएं

पुन्य तीर्थ योजना की कई खास विशेषताएं इसे

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धार्मिक पर्यटन के लिए उपयोगी बनाती हैं। पहली विशेषता यह है कि यह योजना धार्मिक स्थलों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। प्रत्येक चयनित तीर्थ स्थल को 10 लाख से 50 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है, जो उनके जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण, और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए उपयोग की जाती है। दूसरी बात, यह योजना तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं जैसे सड़क, शौचालय, पेयजल, और विश्राम गृह बेहतर करने पर ध्यान देती है।

तीसरी विशेषता यह है कि यह योजना स्थानीय समुदायों और धार्मिक संगठनों को शामिल करती है। मंदिर समितियां, धार्मिक ट्रस्ट, और स्थानीय प्रशासन मिलकर परियोजनाओं को लागू करते हैं। इसके अलावा, यह योजना धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार, डिजिटल मार्केटिंग, और तीर्थयात्रा पैकेज पर भी जोर देती है। सरकार ने इस योजना के लिए पर्यटन विभाग और धार्मिक मामलों के विभाग के सहयोग से विशेष बजट आवंटित किया है, जिससे असम के सैकड़ों तीर्थ स्थलों को लाभ मिल सके।

योजना का उद्देश्य

पुन्य तीर्थ योजना का मुख्य उद्देश्य असम के धार्मिक स्थलों को संरक्षित करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह योजना श्रद्धालुओं के लिए तीर्थयात्रा को आसान और सुरक्षित बनाना चाहती है। इसके साथ ही, यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, और असम की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दुनिया के सामने लाने की दिशा में काम करती है। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के जरिए असम को धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनाया जाए।

पुन्य तीर्थ योजना के लाभ

पुन्य तीर्थ योजना के कई लाभ हैं जो इसे असम के लिए फायदेमंद बनाते हैं। पहला लाभ यह है कि यह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती है। बेहतर सुविधाओं और प्रचार के कारण स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु बड़ी संख्या में तीर्थ स्थलों पर आ रहे हैं। दूसरा, यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देती है। तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने से होटल, परिवहन, और छोटे व्यवसायों को फायदा होता है।

तीसरा लाभ यह है कि यह धार्मिक स्थलों को संरक्षित करती है। पुराने मंदिरों और अन्य तीर्थों का जीर्णोद्धार होने से उनकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता बरकरार रहती है। इसके अलावा, Punya Tirtha Yojana स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करती है। निर्माण कार्य, गाइड की नौकरियां, और पर्यटन से जुड़े व्यवसायों से लोगों को आय मिल रही है। यह योजना असम को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का एक आकर्षक गंतव्य बनाने में मदद कर रही है।

पात्रता मानदंड

पुन्य तीर्थ योजना का लाभ धार्मिक स्थलों और संगठनों के लिए है, व्यक्तियों के लिए नहीं। पात्रता मानदंड में शामिल हैं:

  1. स्थल असम में स्थित होना चाहिए।
  2. धार्मिक महत्व का तीर्थ स्थल होना चाहिए।
  3. स्थल की देखरेख के लिए कोई समिति या संगठन होना चाहिए।
  4. स्थल को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की संभावना होनी चाहिए।
  5. प्रस्ताव में विकास योजना और बजट का विवरण होना चाहिए।

ये शर्तें सुनिश्चित करती हैं कि योजना का लाभ केवल योग्य और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों तक पहुंचे।

आवेदन प्रक्रिया

पुन्य तीर्थ योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया धार्मिक संगठनों और समितियों के लिए बनाई गई है। तीर्थ स्थलों की समितियां अपने जिला पर्यटन कार्यालय या धार्मिक मामलों के विभाग में आवेदन कर सकती हैं। आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होते हैं:

  1. स्थल का विवरण और धार्मिक महत्व
  2. समिति का पंजीकरण प्रमाण
  3. विकास योजना और बजट का प्रस्ताव
  4. फोटो और अन्य दस्तावेज
  5. बैंक खाता विवरण

आवेदन जमा करने के बाद, पर्यटन विभाग और धार्मिक मामलों के विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता है। स्वीकृति मिलने पर, सहायता राशि चरणबद्ध तरीके से जारी की जाती है। अधिक जानकारी के लिए असम पर्यटन विभाग की वेबसाइट tourism.assam.gov.in पर जाकर देखा जा सकता है।


पुन्य तीर्थ योजना का असम में सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। शुरू होने के बाद से कई धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार और विकास शुरू हो चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में पहले चरण में 50 से अधिक तीर्थ स्थलों को सहायता दी गई है। यह योजना धार्मिक पर्यटकों की संख्या में वृद्धि का कारण बन रही है, खासकर कामाख्या मंदिर, माजुली, और हाजो जैसे स्थानों पर।

इसके साथ ही, यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने से स्थानीय व्यवसायों में तेजी आई है, और लोगों को रोजगार मिला है। धार्मिक स्थलों का संरक्षण होने से असम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान मजबूत हुई है। यह योजना धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य की धार्मिक धरोहर को बचाने में योगदान दे रही है।


पुन्य तीर्थ योजना असम सरकार की एक प्रभावी पहल है जो धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और तीर्थ स्थलों को संरक्षित करने में सफल हो रही है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देती है।

भविष्य में तीर्थयात्रियों के लिए और सुविधाएं जोड़ने से यह योजना असम को धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख गंतव्य बना सकती है। कुल मिलाकर, पुन्य तीर्थ योजना धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए एक मजबूत कदम है जो असम की आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।

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