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गोबर-धन योजना: गोबर से धन की राह

गोबर-धन योजना: गोबर से धन की राह

गोबर-धन योजना क्या है?

गोबर-धन योजना (Gobar-Dhan Scheme), जिसे गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन के नाम से जाना जाता है, भारत सरकार की एक पर्यावरण और ग्रामीण विकास योजना है। इसे 30 अप्रैल 2018 को हरियाणा के करनाल से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य गोबर और जैविक कचरे को जैव-ईंधन और खाद में बदलकर ग्रामीण आय बढ़ाना है। यह योजना स्वच्छता और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है। Gobar-Dhan Scheme गोबर से धन बनाने की राह दिखाती है।

गोबर-धन योजना का उद्देश्य

इसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में जैविक कचरे का उपयोग करना और 5000 बायोगैस संयंत्र बनाना है। यह स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाना चाहता है। इसका मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और प्रदूषण को कम करना है।

स्वच्छता और रोजगार

यह योजना गांवों को साफ रखते हुए रोजगार पैदा करती है। यह जैविक खेती को भी बढ़ावा देती है।

गोबर-धन योजना की मुख्य विशेषताएं

इस योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं:

  1. बायोगैस और खाद उत्पादन।
  2. ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी।
  3. स्वच्छता पर जोर।
  4. 1,500 करोड़ रुपये का बजट।

Gobar-Dhan Scheme को स्वच्छ भारत मिशन के तहत लागू किया गया।

लाभ और प्रभाव

इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव आया। 2023 तक, 500 से अधिक बायोगैस संयंत्र बने। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा में गोबर से

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खाद बनाई गई।

आर्थिक लाभ

खाद और बायोगैस से किसानों की आय बढ़ी।

पर्यावरण संरक्षण

जैविक कचरे का उपयोग होने से प्रदूषण कम हुआ।

भागीदारी कैसे करें?

इस योजना में शामिल होने के लिए:

  1. नजदीकी पंचायत से संपर्क करें।
  2. स्वयं सहायता समूह में शामिल हों।
  3. बायोगैस संयंत्र के लिए आवेदन करें।
  4. खाद बेचें।

अधिक जानकारी के लिए स्वच्छ भारत मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

प्रमुख क्षेत्र और कार्यान्वयन

यह योजना पर्यावरण, ग्रामीण विकास और स्वच्छता को प्रभावित करती है। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लागू किया।

विश्लेषण

गोबर-धन योजना ने ग्रामीण आय और स्वच्छता को बढ़ाया। यह पर्यावरण संरक्षण में सफल रही। हालांकि, बड़े पैमाने पर लागू करने में चुनौतियां हैं। फिर भी, यह योजना गोबर से धन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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