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स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऐतिहासिक स्वच्छता पहल है। इसे 2 अक्टूबर 2014 को, महात्मा गांधी की जयंती पर लॉन्च किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य देश को स्वच्छ, स्वस्थ और कचरा-मुक्त बनाना है। यह योजना शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। Swachh Bharat Abhiyan केवल सरकारी प्रयास नहीं है, बल्कि इसमें जनता की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया गया है।
इस अभियान का मुख्य लक्ष्य 2 अक्टूबर 2019 तक, गांधीजी की 150वीं जयंती पर भारत को खुले में शौच से मुक्त (Open Defecation Free - ODF) बनाना था। इसके साथ ही, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ जल की उपलब्धता और सार्वजनिक स्थानों की सफाई को भी प्राथमिकता दी गई। सरकार ने इसे एक जन आंदोलन के रूप में देखा, जिसमें हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है।
स्वच्छ भारत अभियान दो हिस्सों में बांटा गया है - स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण और व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान दिया गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबंधन और स्वच्छता सुविधाओं पर जोर है।
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यह अभियान कई अनूठी विशेषताओं के साथ शुरू किया गया। इसमें शामिल हैं:
Swachh Bharat Abhiyan ने तकनीक का भी उपयोग किया, जैसे मोबाइल ऐप्स के जरिए सफाई की निगरानी और शिकायत दर्ज करना।
इस योजना से कई लाभ देखने को मिले हैं। ग्रामीण इलाकों में शौचालयों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। 2014 से 2019 तक, भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए। इससे खुले में शौच की प्रथा में कमी आई और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में सुधार हुआ। साथ ही, स्वच्छता से बीमारियों में कमी आई, जिससे स्वास्थ्य और जीवन स्तर बेहतर हुआ।
स्वच्छता से पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। स्वच्छ शहर और गांव पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
स्वच्छ भारत अभियान में हर नागरिक हिस्सा ले सकता है। इसके लिए कुछ आसान कदम हैं:
सरकार ने इसकी जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट भी शुरू की है। अधिक जानकारी के लिए आप स्वच्छ भारत मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।
यह अभियान शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करता है। स्कूलों में स्वच्छता की शिक्षा दी जाती है, ताकि बच्चे बचपन से ही इसके महत्व को समझें। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों और पंचायतों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है।
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