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पीएम विश्वकर्मा योजना: कारीगरों का सम्मान और सशक्तिकरण

पीएम विश्वकर्मा योजना: कारीगरों का सम्मान और सशक्तिकरण

पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है?

पीएम विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) भारत सरकार की एक कारीगर सशक्तिकरण योजना है। इसे 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया था। इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़कर उनकी आजीविका को बेहतर करना है। यह योजना 18 पारंपरिक व्यवसायों को कवर करती है। PM Vishwakarma Yojana कारीगरों के सम्मान और आत्मनिर्भरता का एक नया प्रयास है।

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य

इसका मुख्य लक्ष्य 2028 तक 30 लाख कारीगरों को लाभ पहुंचाना है। यह कारीगरों को सस्ते ऋण, कौशल प्रशिक्षण और डिजिटल मार्केटिंग की सुविधा देना चाहता है। इसका मकसद उनकी आय बढ़ाना, उत्पादों की गुणवत्ता सुधारना और उन्हें MSME मूल्य श्रृंखला से जोड़ना है।

कारीगरों का सशक्तिकरण

यह योजना पारंपरिक कारीगरों को सम्मान देती है। यह उनकी कला को आधुनिक बाजार से जोड़कर उनकी पहचान को मजबूत करती है।

पीएम विश्वकर्मा योजना की मुख्य विशेषताएं

इस योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं:

  1. 13,000 करोड़ रुपये का बजट।
  2. 1-2 लाख रुपये तक का सस्ता ऋण।
  3. 5-15 दिन का कौशल प्रशिक्षण।
  4. 18 व्यवसाय जैसे बढ़ई, सुनार, लोहार शामिल।

PM Vishwakarma Yojana को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने लागू किया।

लाभ और प्रभाव

इस योजना से कारीगरों को लाभ मिलना शुरू हुआ।

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2023 तक, लाखों कारीगरों ने पंजीकरण कराया। उदाहरण के लिए, राजस्थान और गुजरात में शिल्पकारों की आय बढ़ी।

आर्थिक लाभ

ऋण और प्रशिक्षण से कारीगरों का व्यवसाय बढ़ा।

सामाजिक प्रभाव

पारंपरिक कला को सम्मान मिला और युवाओं का रुझान बढ़ा।

भागीदारी कैसे करें?

इस योजना में शामिल होने के लिए:

  1. नजदीकी CSC केंद्र जाएं।
  2. आधार और व्यवसाय प्रमाण जमा करें।
  3. ऋण और प्रशिक्षण के लिए आवेदन करें।
  4. प्रगति की जानकारी लें।

अधिक जानकारी के लिए PM Vishwakarma की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

प्रमुख क्षेत्र और कार्यान्वयन

यह योजना कारीगरी, रोजगार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। इसे MSME मंत्रालय और राज्य सरकारों ने लागू किया।

विश्लेषण

पीएम विश्वकर्मा योजना ने कारीगरों को नई दिशा दी। यह आत्मनिर्भरता में सफल रही। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। फिर भी, यह योजना कारीगरों के लिए एक बड़ा कदम है।

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