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नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना: छत्तीसगढ़ की ग्रामीण क्रांति

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना: छत्तीसगढ़ की ग्रामीण क्रांति

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना क्या है?

छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना (Narva, Garva, Ghurva, Bari Yojana) एक महत्वाकांक्षी ग्रामीण विकास योजना है, जिसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। यह योजना चार मुख्य आधारों पर काम करती है: नरवा (जल संरक्षण), गरवा (पशुधन संरक्षण), घुरवा (कम्पोस्ट खाद उत्पादन), और बारी (सब्जी और फल उत्पादन)। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और किसानों की आय को दोगुना करना है।

इस योजना को 2019 में शुरू किया गया था और यह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन की नींव को मजबूत करने का एक अनूठा प्रयास है। Narva, Garva, Ghurva, Bari Yojana ने राज्य के लाखों किसानों और ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुंचाया है, जिससे उनकी आजीविका में सुधार हुआ है।

योजना का उद्देश्य

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना (Narva, Garva, Ghurva, Bari Yojana) का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देना है। इसके पीछे सरकार के कई प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. जल संरक्षण: नदियों और नालों को पुनर्जनन करना ताकि सिंचाई और पीने के पानी की उपलब्धता बढ़े।
  2. पशुधन संवर्धन: पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए पशुधन की देखभाल और संरक्षण।
  3. जैविक खेती: घुरवा के जरिए कम्पोस्ट खाद बनाकर रासायनिक उर्वरकों पर

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    निर्भरता कम करना।
  4. आत्मनिर्भरता: बारी के माध्यम से परिवारों को सब्जी और फल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना।

यह योजना पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है।

योजना की मुख्य विशेषताएं

नरवा (जल संरक्षण)

नरवा घटक के तहत छोटी नदियों और नालों में जल संचय संरचनाएं बनाई जाती हैं, जैसे चेक डैम, तालाब, और गहरीकरण कार्य। इससे भूजल स्तर में सुधार होता है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है।

गरवा (पशुधन संरक्षण)

गरवा के तहत गौशालाओं का निर्माण और पशुधन की देखभाल पर जोर दिया जाता है। पशुपालकों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे दूध और अन्य उत्पादों से अतिरिक्त आय अर्जित कर सकें।

घुरवा (कम्पोस्ट खाद)

घुरवा के जरिए गोबर और जैविक कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाई जाती है, जिसे किसान अपने खेतों में उपयोग करते हैं। यह न केवल खेती की लागत कम करता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाता है।

बारी (सब्जी और फल उत्पादन)

बारी घटक में ग्रामीण परिवारों को अपने घर के आसपास छोटे बगीचे बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए बीज, पौधे, और तकनीकी सहायता दी जाती है।

लाभ और प्रभावित क्षेत्र

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह ग्रामीण छत्तीसगढ़ के हर हिस्से को प्रभावित करती है। यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी है, जो अपनी आजीविका के लिए खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं।

इसके अलावा, यह पर्यावरणीय लाभ भी प्रदान करती है। नरवा से जल संरक्षण, घुरवा से जैविक खाद, और बारी से हरियाली बढ़ती है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक कदम है। योजना ने ग्रामीण महिलाओं को भी सशक्त बनाया है, जो बारी और घुरवा में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।

भाग लेने की प्रक्रिया

इस योजना में भाग लेने के लिए ग्रामीणों को स्थानीय प्रशासन या पंचायत के माध्यम से संपर्क करना होता है। प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. पंजीकरण: ग्राम पंचायत में योजना के लिए नाम दर्ज करवाएं।
  2. चयन: पात्र परिवारों का चयन उनकी जरूरत और संसाधनों के आधार पर किया जाता है।
  3. सहायता: सरकार द्वारा बीज, खाद, और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
  4. निगरानी: स्थानीय अधिकारी प्रगति की समीक्षा करते हैं।

अधिक जानकारी के लिए आप छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक वेबसाइट cgstate.gov.in पर जा सकते हैं।

योजना से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना को अन्य योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) और गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) के साथ जोड़ा गया है ताकि इसका प्रभाव बढ़ सके। योजना के तहत अब तक हजारों नरवा संरचनाएं बनाई जा चुकी हैं और लाखों परिवार लाभान्वित हुए हैं।

सरकार समय-समय पर इस योजना की प्रगति की समीक्षा करती है और इसे और प्रभावी बनाने के लिए नए कदम उठाती है।

विश्लेषण

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना (Narva, Garva, Ghurva, Bari Yojana) छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है।

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