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मिशन इंद्रधनुष (Mission Indradhanush) भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसे 25 दिसंबर 2014 को शुरू किया गया था। हालांकि, 2016 में इसकी इंटेंसिफाइड (तीव्र) फेज शुरू हुई, जिसके तहत टीकाकरण को तेज और व्यापक बनाया गया। इसका उद्देश्य 2 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सात जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है। यह योजना ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करती है। Mission Indradhanush बच्चों के लिए टीकाकरण का संरक्षण लेकर आई।
इसका मुख्य लक्ष्य 2020 तक 90% बच्चों को पूर्ण टीकाकरण देना था। यह डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, टीबी, हेपेटाइटिस बी और खसरा जैसी बीमारियों से बचाना चाहती है। 2016 में शुरू हुई तीव्र फेज ने कम कवरेज वाले क्षेत्रों पर फोकस किया। इसका सपना है कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।
टीकाकरण से बच्चों की मृत्यु दर कम होती है। यह योजना ग्रामीण स्वास्थ्य को मजबूत करने का प्रयास करती है ताकि हर बच्चा स्वस्थ हो।
इस योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं:
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Mission Indradhanush को 2016 में नए चरणों के साथ तेज किया गया, जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाई गई।
इस योजना से बच्चों के स्वास्थ्य में बड़ा सुधार हुआ। 2023 तक, 4 करोड़ से अधिक बच्चों और 1 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए गए। टीकाकरण कवरेज 65% से बढ़कर 90% के करीब पहुंचा। उदाहरण के लिए, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पोलियो और खसरे के मामले कम हुए।
टीकाकरण से बच्चों की जान बची और बीमारियों का खतरा कम हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ी और माता-पिता बच्चों को टीकाकरण के लिए लाने लगे।
इस योजना में शामिल होने के लिए:
विस्तृत जानकारी के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
यह योजना स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण को प्रभावित करती है। इसे स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों के सहयोग से लागू किया गया।
मिशन इंद्रधनुष ने बच्चों के टीकाकरण में क्रांति लाई। 2016 की तीव्र फेज ने इसे और प्रभावी बनाया। हालांकि, दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच और जागरूकता की कमी कुछ चुनौतियां हैं। फिर भी, यह योजना बच्चों के स्वस्थ भविष्य की नींव रखने में सफल रही।
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