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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रोजगार के अवसर सीमित हैं, और यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और मत्स्य पालन पर निर्भर है। इस स्थिति को बदलने के लिए प्रशासन ने कुक्कुट, डेयरी और बकरी पालन प्रशिक्षण योजना (Kukkut, Dairy aur Bakri Palan Prashikshan Yojana) शुरू की है। यह योजना स्थानीय लोगों को कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है। इस लेख में हम इस योजना के उद्देश्य, विशेषताओं, लाभ, और इसमें शामिल होने की प्रक्रिया को विस्तार से जानेंगे।
यह योजना अंडमान और निकोबार प्रशासन द्वारा शुरू की गई एक कौशल विकास पहल है, जो कुक्कुट पालन (पोल्ट्री), डेयरी फार्मिंग, और बकरी पालन में प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसका उद्देश्य युवाओं और ग्रामीण आबादी को इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित करना है ताकि वे स्वरोजगार शुरू कर सकें या संबंधित उद्योगों में नौकरी पा सकें।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य rozgar srijan (रोजगार सृजन) और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह यहाँ के लोगों को पारंपरिक खेती और पशुपालन के आधुनिक तरीकों से परिचित कराती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके।
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हाल के वर्षों में शुरू की गई इस योजना की घोषणा प्रशासन ने विभिन्न विभागों के सहयोग से की थी। यह अंडमान और निकोबार में कौशल विकास को बढ़ावा देने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
इस योजना में कई खास विशेषताएँ हैं जो इसे प्रभावी बनाती हैं:
यह योजना कई तरह से फायदेमंद है।
प्रशिक्षण के बाद लोग अपने व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, जिससे rozgar srijan (रोजगार सृजन) होता है। यह स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी को कम करता है।
कुक्कुट, डेयरी, और बकरी पालन से होने वाली आय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। यह यहाँ के लोगों को आत्मनिर्भर बनाती है।
महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाकर यह योजना सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है। यह samajik vikas (सामाजिक विकास) का एक माध्यम है।
इस योजना में शामिल होने के लिए निम्नलिखित कदम हैं:
अधिक जानकारी के लिए andaman.gov.in पर जाएँ।
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