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जम्मू और कश्मीर सरकार ने अपनी विश्व प्रसिद्ध पश्मीना शॉल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए "जम्मू और कश्मीर पश्मीना संवर्धन योजना" (J&K Pashmina Promotion Scheme) शुरू की है। यह योजना कश्मीर घाटी के पारंपरिक पश्मीना शिल्प को संरक्षित करने और इसे आधुनिक बाजार में मजबूत करने के लिए डिज़ाइन की गई है। पश्मीना (Pashmina) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऊन है जो चांगथांगी बकरियों से प्राप्त होता है और इसे कश्मीरी कारीगर अपनी कला से शॉल, स्टोल और अन्य उत्पादों में बदलते हैं।
यह योजना न केवल कारीगरों को आर्थिक सहायता देती है, बल्कि पश्मीना उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने का भी लक्ष्य रखती है। आइए इसके उद्देश्यों और विशेषताओं को विस्तार से जानें।
जम्मू और कश्मीर पश्मीना संवर्धन योजना (Jammu aur Kashmir Pashmina Sanvardhan Yojana) का मुख्य उद्देश्य पश्मीना उद्योग को मजबूत करना है। इसके कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं:
यह योजना कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के साथ-साथ कारीगरों की आजीविका को बेहतर करने का प्रयास करती है।
जम्मू और
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कारीगरों को कच्चा माल, उपकरण और विपणन के लिए वित्तीय सहायता (financial assistance) दी जाती है। इसमें सब्सिडी और ऋण शामिल हैं।
कारीगरों को आधुनिक तकनीकों और डिज़ाइनों के लिए प्रशिक्षण (training) प्रदान किया जाता है ताकि वे वैश्विक बाजार की मांग को पूरा कर सकें।
पश्मीना उत्पादों को प्रमाणन (certification) और ब्रांडिंग के जरिए उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित की जाती है।
इस योजना के कई लाभ हैं जो निम्नलिखित क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:
कारीगरों को नियमित आय मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
पश्मीना शिल्प को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
पश्मीना की लोकप्रियता से पर्यटन (tourism) और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रक्रिया इस प्रकार है:
यह प्रक्रिया पारदर्शी और कारीगरों के लिए सुलभ है।
जम्मू और कश्मीर पश्मीना संवर्धन योजना (Jammu aur Kashmir Pashmina Sanvardhan Yojana) कश्मीर की अनमोल धरोहर को संरक्षित करने और कारीगरों को सशक्त बनाने का एक शानदार प्रयास है।
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