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जम्मू और कश्मीर सरकार ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए "जम्मू और कश्मीर घराना योजना" (J&K Gharana Scheme) शुरू की है। यह योजना पारंपरिक संगीत, नृत्य और कला के क्षेत्र में काम करने वाले कलाकारों को समर्थन देने के लिए बनाई गई है। "घराना" शब्द भारतीय शास्त्रीय संगीत और कला की विशिष्ट शैलियों को दर्शाता है, और यह योजना इन्हें संरक्षित करने के साथ-साथ अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखती है।
जम्मू और कश्मीर अपनी अनूठी कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है, जैसे कश्मीरी सूफी संगीत, डोगरी लोक नृत्य और पहाड़ी चित्रकला। इस योजना के तहत इन कलाओं को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और मंच प्रदान किया जाता है। आइए इसके उद्देश्यों और विशेषताओं को विस्तार से जानें।
जम्मू और कश्मीर घराना योजना (Jammu aur Kashmir Gharana Yojana) का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक संरक्षण है। इसके कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं:
यह योजना उन कलाकारों के लिए एक वरदान है जो अपनी कला को जीवित रखने के लिए संघर्ष
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जम्मू और कश्मीर घराना योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं:
कलाकारों को प्रदर्शन, प्रशिक्षण और उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय सहायता (financial assistance) दी जाती है। इसमें मासिक छात्रवृत्ति भी शामिल हो सकती है।
योजना के तहत प्रशिक्षण केंद्र (training centers) स्थापित किए जाएंगे जहां युवाओं को पारंपरिक कला सिखाई जाएगी।
कलाकारों को अपनी कला दिखाने के लिए मंच प्रदान करने हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम (cultural events) आयोजित किए जाएंगे।
इस योजना के कई लाभ हैं जो निम्नलिखित क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:
पारंपरिक कला और संगीत को नई पहचान मिलेगी।
कलाकारों को नियमित आय का स्रोत मिलेगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पर्यटन (tourism) को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना में शामिल होने के लिए प्रक्रिया इस प्रकार है:
यह प्रक्रिया आसान और सभी कलाकारों के लिए सुलभ है।
जम्मू और कश्मीर घराना योजना (Jammu aur Kashmir Gharana Yojana) कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कलाकारों को समर्थन देती है, बल्कि जम्मू और कश्मीर की पहचान को भी मजबूत करती है।
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